Fatiha Me Kya Kya Padha Jata Hai । फातिहा में क्या क्या पढ़ा जाता है?

आज यहां पर आप जानेंगे कि Fatiha Me Kya Kya Padha Jata Hai हमने यहां फातिहा में पढ़ी जानें वाली सभी चीजों को बताया है।

इसे पढ़ने के बाद आप आसानी से जान जाएंगे कि फातिहा में कब क्या और कितनी बार पढ़ा जाता है इसीलिए आप यहां ध्यान से आखिर तक पढ़ें।

Fatiha Me Kya Kya Padha Jata Hai

  • सबसे पहले 3 मरतबा दुरूद शरीफ पढ़ा जाता है।
  • इसके बाद सूरह काफिरून 1 मरतबा पढ़ा जाता है।
  • फिर सूरह इखलास 3 मरतबा पढ़ा जाता है।
  • इसके बाद 1 मरतबा सूरह फलक पढ़ा जाता है।
  • अब इसके बाद सूरह नास 1 मरतबा पढ़ा जाता है।
  • इसके बाद सूरह फातिहा 1 एक मरतबा पढ़ा जाता है।
  • फिर सूरह बकरह सिर्फ मुफ्लिहुन तक पढ़ा जाता है।
  • अब 1 एक बार आयते खामसह पढ़ा जाता है।
  • फिर आखिर में भी 3 बार दुरूद शरीफ पढ़ा जाता है।
  • फिर अउजुबिल्लाह मिनश शैतानिर्रजिम पढ़ा जाता है।
  • इसके बाद बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ा जाता है।
  • अब अला इन्ना औलिया ला खऊफुन वला हुम यह जुनून पढ़ा जाता है।
  • फिर अल्लजिना आमनु व कानु यत्तकुन पढ़ा जाता है।

इसके बाद सुब्हाना रब्बिक व रब्बिल इज्जते अमा यसिफुन व सलामुन अलल मुरसलिम वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ये पढ़ कर अल फातिहा कहा जाता है और दरूद शरीफ पढ़ कर बख़्शिश किया जाता है।

फातिहा में कौन कौन सी सूरत पढ़ी जाती है?

सबसे पहले फातिहा में कुरान ए पाक कि सूरह काफिरून जो सबसे आखिरी पारे में कुरान ए पाक की 109 वां सूरह पढ़ा जाता है।

फिर बहुत ही मशहूर रहमत व बरकत भरी सूरह कुल हुवल्लाहु शरीफ 3 मरतबा पढ़ा जाता है यह सूरह कुरान ए पाक के तीसवें पारे में 112 वां सूरह है।

इसके बाद कुरान ए पाक कि सूरह, सूरह फलक 1 मरतबा पढ़ा जाता है यह सूरह कुरान ए पाक में 113 वां सूरह है और इससे भी आप तीसवें पारे में पाएंगे।

अब 1 मरतबा सूरह नास पढ़ी जाती है इसे आप कुरान ए पाक में सबसे आखिरी में पाएंगे, इसके बाद फिर 1 बार सूरह फातिहा पढ़ी जाती है।

यहां तक बात रही सूरह की इसके बाद यानी सूरह फातिहा पढ़ने के बाद सूरह बकरह पुरा नहीं सिर्फ मुफ्लिहु न तक पढ़ी जाती है।

और आख़िर में आयते खामसह पढ़ 3 बार दुरूद शरीफ पढ़ें जो भी दुरूद ए पाक याद हो और अउजुबिल्लाह मिनश शैतानिर्रजिम फिर बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ा जाता है।

इसके बाद अला इन्ना औलिया ला खऊफुन वला हुम यह जुनून और अल्लजिना आमनु व कानु यत्तकुन पढ़ा जाता है।

अब सुब्हा न रब्बिक व रब्बिल इज्जते अमा यसिफुन व सलामुन अलल मुरसलिम वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ये पढ़े और अल फातिहा कहें फिर दरूद शरीफ पढ़ कर बख़्शिश किया जाता है।

बख़्शिश करने का सही तरीका

सबसे पहले सही तरीके से दोनों हाथों को उठा कर दुरूद शरीफ पढ़ें।

फिर यूं बारगाहे इलाही में अर्ज करें कि जिक्रो अज्कार दुरूदो सलाम तिलावते कुरआन मजीद ख़त्म शरीफ।

तबर्रुकाते तआम शिरनी फल फ्रुट गर्ज यह कि ऐ अल्लाह जो कलिमात तय्यिबात पहले या इस महफिल में पढ़े।

या सुने गए इनमें जो भुल कर या जानकर गलतियां खामियां पैदा हो गई उनको माफ फरमा और उसकी इस्लाह की तौफिक इनायत फरमा।

ऐ मेरे रब अपने महबूब मुकर्रम के सदके इस को कुबूलियत का दर्जा अता फरमा और अपने फजल व करम से सवाब इनायत फरमा कर इस सवाब को पहुंचा।

बखिदमते अकदस हुज़ूर पुरनूर सय्यदूल मुरसलीन शफीउल मुजनबीन रहमतुल लिलआलमिन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाहे आली में।

आपके सदके व तुफैल तमाम अम्बियाए किराम खुलफाए राशिदीन अहले बैत किराम व जुमला सहाबा ताबईन तबअ ताबईन अइम्मा मुजतहदीन व अइम्माए तरीकत।

खुसूसन हुज़ूर गौसे पाक शैख सैयद अब्दुल कादिर जिलानी रजियल्लाहु अन्हुं व गरीब नवाज ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रजियल्लाहु अन्हुं जुमला सादात व जमीअ बुजुर्गाने सिलसिलए औलिया।

कादरिया चिश्तिया सुहरवर्दिया नक्शबंदीया उवैसिया वगैरह वगैरह व जमीअ अरवाहे सिद्दिकीन शोहदा व सालिहीन औलियाए किराम सूफियाए इजाम।

मुतकद्दिमीन से लेकर मुतआखिरीन तक जुमला मोमिनिन व मोमिनात मुस्लिमीन व मुस्लिमात।
अगर पिरो मुर्शिद या वालिदैन में से कोई जिन्दा ही हो उनको सवाब बख्शे।

खुसूसन जिसको बख्शना मकसूद हो उस का नाम लेकर उनकी खिदमत में सवाब पेश करें।

अंतिम लफ्ज़

अब तक तो आप भी आसानी से फातिहा में पढ़ी जानें वाली सभी सूरहों और आयतों की जानकारी हासिल कर लिए होंगे।

हमने यहां पर सभी लफ्जों को साफ और आसान तरीके से लिखा था जिसे आप पढ़ने के बाद आसानी से समझ कर फातिहा कर सकें।

अगर अभी भी आपके मन में कोई सवाल या फातिहा से जुड़ी डाउट भी हो तो आप हमसे कॉन्टेक्ट मि पेज के ज़रिए जरूर पूछें।

My name is Muhammad Ittequaf and I'm the Editor and Writer of Namazein. I'm a Sunni Muslim From Ranchi, India. I've experience teaching and writing about Islam Since 2019. I'm writing and publishing Islamic content to please Allah SWT and seek His blessings.